Thursday, April 5, 2018

जय OPS

पेंशन बहाली तो हमारे हक समान है,
इसको पाने में लोगों ने दी अपनी जान है।

ताउम्र समर्पण के बाद हक हम ये पाते हैं,
फिर भी इसको न देने में रोज़ नए बहाने हैं।

सीमित संसाधनों की बात हमने मानी है,
पर नेताओं के लिए, ये बात क्यों बेमानी है?

भारतीय संविधान की,गरिमा का बलिदान है,
नेताओं के फायदे में ही,बस सब कुछ कुर्बान है ।

हक को पाने में देनी पड़ती कुर्बानी है,
इतिहास के पन्नो ने भी यह बात मानी है ।

रात्रि के अंधेरे के बाद ही आता उजाला है,
उठो, जागो,आगे बढ़ो ये हक हमने पाना है ।

-भड़ोल