सरकारी बातें अब निम्न हो गई हैं,
फाइलों की बातें अब भिन्न हो गई हैं ।
सिस्टम जो बदले वो फूल हो गया है,
काम को घसीटना अब असूल हो गया है ।
सरकारी नौकर किसी काम का न छोड़ा,
फिट है वो सिस्टम में जो है सिर्फ भगौड़ा ।
गलतियां भी शायद अब आम हो गयी हैं,
गलत काम करवाने की होड़ हो गयी है ।
काम के संदेश अब व्हाटसअप पर हैं आते,
जवाब साहिब को, पर लिखित में ही भाते ।
सरकारी मुलाज़िम जब काम पे है जाता,
वापिस लौट आने तक परिवार है झन्नाता ।
"शैल" की कुर्बानी यूं व्यर्थ न जाएगी,
एक न एक दिन सिस्टम को जाग आएगी।
-भड़ोल