जी चाहता है झूम लूँ, हर ग़म को भूल लूँ ।
ज़िन्दगी की राह में, हर मुकाम चूम लूँ ।
आसां नहीं है राह ये,हर मोड़ पर अंजान हैं,
मंज़िल पाने का पथ ये अब नहीं आसान है।
होश में आया मैं, जब मिले वो पथिक मुझे,
खून पसीने से तर बतर, उस राह पर वो अग्रसर ।
उठना अगर मैं सीख लूँ, झुकना अगर मैं सीख लूँ,
ज़िन्दगी की हर राह पर, रोज़ नई मैं सीख लूँ ।
मुश्किल है सफर और राह भी अनजान है,
मिल ही जाएगी वो डगर जिस राह पर भगवान हैं ।
अरमां लिए इस दिल में कुछ करने की ठान है,
नेक बंदों के लिए कुछ करने का अरमान है ।
फड़फड़ा के एक न एक दिन मंजिल पा ही लूंगा मैं,
हौंसला हो न हो पर, पार पा ही लूंगा मैं।
-भड़ोल
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