बात को समझे नहीं , तर्क उसके बेकार है,
हाँ वो बीमार है ।
मिला था मुझे वो बर्फीले तूफान में,
देश की रक्षा का भूत उसपे सवार है,
हाँ वो बीमार है ।
बूढ़ी माँ उसकी , घर पर बीमार है,
पर सरहद पर जाने का भूत उसपे सवार है,
हाँ वो बीमार है ।
दुश्मनों को मार दूंगा, हर वक्त वो तैयार है,
राष्ट्र की पावन धरा का सिपहसिलार है,
हाँ वो बीमार है ।
न मांगे वो बंगला गाड़ी, न उसे दरकार है,
राष्ट्रध्वज का मान रखने का उसे सरोकार है,
हाँ वो बीमार है ।
अमन शांति रहे देश में, कुर्बानी को वो तैयार है,
हर आह राष्ट्र पर मिटे, उसका हम पर उपकार है।
हाँ वो बीमार है ।
-भड़ोल
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