सीज़फायर वायलेशन अब आम हो गई है,
पाकिस्तान की जुर्रत शरेआम हो गई है ।
घर में नही निवाला और खीर चाहते हैं,
पख्तून नहीं सम्भलता और कश्मीर चाहते हैं?
कई बार मुहँ की खाई पर चैन न है आई,
बेशर्मी की हदों को भी पार कर चुके हैं ।
रोज़ हैं नया एक बाप ढूंढते रहते,
अब तलक है अपनी औकात ढूंढते रहते ।
न्यूक्लिअर पावर की धौंस है जमाता,
चीन के आगे, है रोज़ गिड़गिड़ाता ।
हिल चुका है अब तक, कई बार मुहँ की खाकर,
पर अक्ल न है आयी, नाक भी कटवा कर ।
दूसरों के पल्लू में कब तलक छुपोगे,
हम भड़क गए तो नज़र नहीं आओगे ।
-भड़ोल
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