मुलाकातों का सिलसिला नासूर हो गया,
गुनाह करके भी वो बेकसूर हो गया ।
चाहा था जिसे अपनी जान की तरह,
हमसे बिछड़ कर वो बहुत दूर हो गया।
इनायत यूँ रही खुदा की उस पर ,
हमसे बिछड़ कर वो मशहूर हो गया ।
उसकी सादगी पर फिदा था इस कदर,
भूलना चाहा मगर इश्क़ में मजबूर हो गया ।
मुलाकातों का सिलसिला नासूर हो गया ,
गुनाह करके भी वो बेकसूर हो गया ...
-भड़ोल
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